Essay on My School in Hindi | मेरा विद्यालय पर निबंध हिंदी में


 मेरा विद्यालय पर निबंध - Essay on My School in Hindi for all classes 5th to 10th 

 Essay on My School in Hindi - इस निबंध में मैं विद्यालय के बारे में बता रहा हूँ। विद्यालय और शिक्षा का हमारे जीवन में कितना महत्व  है, यह मैंने निबंध की सहायता से बताया है। विद्यालय में हम सभी ने पढ़ा है। उस विद्यालय से सम्बंधित सभी बातों को अपने मष्तिस्क में उसकी छवि बनाते हुए उसे शब्दों का रूप देते हुए निबंध लिखना चाहिए। इससे हमे निबंध लिखने में महत्वपूर्ण सहायता प्राप्त होती है।

प्रस्तावना

विद्यालय की परंपरा आज की नहीं बल्कि बहुत प्राचीन काल से चली आ रही है। बदलते समय के अनुसार इसके रूप-रेखा में भी बदलाव आते रहे है। एक वक़्त था जब गुरुकुल की परंपरा थी। जहाँ बच्चे अपने परिवार से दूर गुरूजी के पास रह कर उनकी सेवा करते हुए धर्म और शास्त्र की शिक्षा ग्रहण करते थे। शिक्षा प्राप्त कर लेने के पश्चात् ही उन्हें घर जाने की अनुमिति मिलती थी। वर्तमान के विद्यालय, प्राचीन काल के गुरुकुलों से बहुत अलग अवश्य हैं, किन्तु आज भी विद्यालयों को मंदिरों का और अध्यापकों को भगवान् का दर्जा दिया जाता है।

विद्यालय स्थल

मेरा विद्यालय बहुत सुंदर है जो हरियाली से घिरा हुआ है। इसके चारो ओर बड़े-बड़े पेड़ है। जो यहाँ के वातावरण को ठंडा बनाते है। मुझे मेरा विद्यालय बहुत अच्छा लगता है। मेरा विद्यालय मेरे घर से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एक पीले रंग की स्कूल बस रोज़ सुबह 7 बजे मेरे घर के सामने मुझे लेने आती है।मेरा विद्यालय शहर की भीड़भाड़ और शोरगुल  से दूर एकांत जगह पर है। पढाई के लिए शांतिपूर्ण जगह का होना महत्वपूर्ण माना जाता है, अतः प्राचीन काल से ही विद्यालयों के लिए ऐसे स्थान को चुना जाता था, जहाँ पर किसी प्रकार का शोर न हो। मेरा विद्यालय बहुत बड़ी जगह में फैला हुआ है।


 विद्यालय इमारत / भवन 

मेरा स्कूल बहुत बड़े क्षेत्र में बना हुआ है। इसका भवन भव्य और आधुनिक तकनीक से बना है जो भूकंपरोधी है। इस स्कूल में पंद्रह बड़े-बड़े कमरे और सभा के लिए एक बड़ा सा हॉल भी है। सभी कमरे में बड़ी-बड़ी खिड़कियाँ है, जो कमरे को हवादार बनाती है। हर कमरे में चार-चार पंखे भी है। इसके अलावे प्रधानाध्यापक के लिए कार्यालय, शिक्षक कक्ष, बीमार कक्ष, एवं पुस्तकालय के लिए अलग-अलग कमरे है। इसके सामने एक बड़ा सा मैदान है। मैदान के एक तरफ साईकिल से आने वाले बच्चों के लिए साईकिल रखने की व्यवस्था है। यहाँ एक जलपान गृह भी है, जहाँ बच्चे नाश्ता करते है। स्कूल के द्वारा  बच्चों को सस्ते नाश्ते का प्रबंध है।


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विद्यालय परिसर / क्षेत्र 

मेरे विद्यालय के ठीक सामने एक बहुत बड़ा मैदान है। जिसमें हम सभी विद्यार्थी खेल-कूद का आनंद लेते हैं। इसी मैदान में हमलोग अपने दिन की शुरुआत प्रार्थना के साथ करते है। विद्यालय का मैदान घासयुक्त है तथा चारो ओर बड़े-बड़े छायादार वृक्ष लगे हुए हैं। विद्यालय परिसर में गमले रखे गये है जिनमें रंग-बिरंगे फूल के पौधे लगे हुए है, जो विद्यालय की खुबसुरिती में चार चाँद लगा देते है। 


विद्यालय की सुख-सुविधाएँ

(i) माँ सरस्वती विद्या की देवी है, जिनकी प्रतिमा मेरे विद्यालय के प्रवेश द्वार के पास है। जहाँ हम रोज जाकर प्रार्थना करते हैं और माँ सरस्वती का आशीर्वाद लेकर अपनी पढ़ाई शुरू करते हैं।

(ii) मेरे विद्यालय में नर्सरी से वर्ग 10 तक के विषयों को हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों माध्यमों में पढ़ाया जाता है।

(iii) विद्यालय में साफ़ जल की समुचित व्यवस्था है गर्मियों में ठंडे पानी पीने के लिए वाटर कूलर लगा है और सामान्य इस्तेमाल के लिए पानी की दो बड़ी टंकियाँ हैं।

(iv) छात्र छात्राओं के लिए अलग-अलग 5 शौचालयों की व्यवस्था है।

(v) विद्यालय में एक बड़ी पुस्तकालय है, जिसमें हम हर रोज जाकर समाचार, पत्र पत्रिकाएँ एवं कहानियों की किताबें पढ़ते हैं।

(vi) हमारे विद्यालय में एक बड़ा सा कंप्यूटर कक्ष है, जिसमें 20 कंप्यूटर लगे हुए है। 

(vii) मेरे विद्यालय में शिक्षकों के विचार विमर्श करने के लिए एकशिक्षक कक्ष की व्यवस्था है। 

(viii) मेरे विद्यालय में प्रत्येक कक्षा में विद्यार्थियों के बैठने के लिए टेबल / मेज  और बेंच की व्यवस्था की गई है और गर्मियों में हवा के लिए प्रत्येक कक्षा में चार पंखे लगे हुए है।

(ix) विद्यालय के हर कक्षा के बाहर छोटा कूड़ादान रखा गया है, जिसमें विद्यार्थी अपनी कक्षा का कूड़ा  या कचड़ा डालते हैं। इससे विद्यालय में गंदगी नहीं फैलती।

(x) अध्यापक-अध्यापिकाएँ द्वारा विषयों को समझाने के लिए प्रत्येक कक्षा में एक बड़ा सा ब्लैक बोर्ड बना हुआ है 

(xi) विशेष अवसरों पर उत्सवों और रंगारंग कार्यक्रमों के आयोजन के लिए विद्यालय में एक विशाल सभागार भी है, 

(xii) हमारा विद्यालय निर्धन छात्रों के लिए स्कूल पोशाक और पुस्तकों उपलब्ध कराता है। 

(xiii) विद्यालय द्वारा योग्य छात्रों को छात्रवृत्ति भी दी जाती है।

(xiv) मेरे विद्यालय में एक बीमार कक्ष भी है जहाँ बीमार बच्चे आराम करने के लिए जाते है। 

(xv) मेरे विद्यालय में प्राथमिक उपचार से सम्बंधित जरुरी चीजे भी रखी गई है जैसे रुई, बैंडेज, एंटी-सैप्टिक क्रीम, डेटोल इत्यादि। 


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विद्यालय में अनुशासन

परिश्रम सफलता की कुंजी है, तो अनुशासन सफलता की ओर ले जाने वाली सीढ़ी है। अनुशासन का पहला सबक हमे परिवार से सिखाने को मिलता है।  फिर उसके महत्व को विद्यालय में सिखाया जाता है। हमारा विद्यालय अनुशासन के मामले में कठोर है। यदि कोई विद्यार्थी स्कूल के अनुशासन को भंग करने की कोशिश करता है तो उसे कड़ा दंड दिया जाता है। विद्यालय के अनुशासन का पालन करना हर विद्यार्थी का दायित्वा होता है सप्ताह में तीन दिन पोशाक, नाख़ून, दांत का निरक्षण किया जाता है बच्चों के मासिक प्रगति से सम्बंधित रिपोर्ट अभिभावक को हर महीने भेजी जाती है परीक्षाफल के दिन सभी अभिभावकों का विद्यालय आना अनिवार्य होता है 

विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाएं 

बच्चे इस देश के भविष्य है, तो शिक्षक उस भविष्य के निर्माता होते है। अतः हमारे विद्यालय में 20 शिक्षक-शिक्षिकाएं है। वे अपने-अपने विषय में माहिर है। वे प्रेम से सरल और आसन भाषा में अपने विषय को समझाते है। हमारे विद्यालय में इसके अलावे नृत्य शिक्षक है जो बच्चों को नृत्य सिखाते है। उनके नृत्य सिखाने की कला अदभुत है। इसके अलावे एक संगीत शिक्षक भी है, जो अपनी मधुर आवाज में बच्चों को संगीत सिखाते है। योगा शिक्षक द्वारा योगा करना सिखाया जाता है तथा योगा के महत्त्व को समझाया जाता है। हमें अपने स्वास्थ्य को कैसे अच्छा रखना है, यह भी बताया जाता है। योगा से हमारे तन-मन में चुस्ती और स्फूर्ति बनी रहती है, जिससे हमारा पढ़ाई में मन लगा रहता है।


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विद्यालय के प्रधानाध्यापक

हमारे विद्यालय के प्रधानाध्यापक एक व्यवहारिक एवं कर्मठ व्यक्ति है। स्कूल के सुव्यवस्थित संचालन की सारी जिम्मेवारी उनपे ही है। उनका मानना है की एक प्रधानाध्यापक को अपने बच्चों से घुल-मिल कर रहना चाहिए ताकि स्कूल में जो अच्छी और बुरी गतिविधियाँ चल रही होगी उसकी जानकारी मिलती रहेगी। इससे स्कूल की कमियों को सुधारा जा सकता है। हमारे विद्यालय के प्रधानाध्यापक गुणवान और चरित्रवान है अतः सभी बच्चे उनका आदर करते है तथा वे अभिभावक के बीच लोकप्रिय भी है। 


विद्यालय में प्रतियोगिताएँ

प्रतियोगिता से बच्चों में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। अतः हमारे विद्यालय में समय-समय पर प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। जैसे - चित्र-कला, वाद-विवाद, कविताएँ आदि की प्रतियोगिताएँ होती रहती है। जिसमें सभी विद्यार्थी बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। हमारे विद्यालय का मैदान बड़ा होने के कारण खेलकूद की जिला स्तरीय प्रतियोगिताएँ हमारे विद्यालय में ही होती है। इसमें हमारे विद्यालय के विद्यार्थी भी भाग लेते हैं। मेरे विद्यालय ने  अनेकों मेडल और कप जीते है। 


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विद्यालय के समारोह

किसी भी समारोह का उद्देश्य प्रतिदिन किये जाने वाले कार्यों को छोड़ कुछ नया करना जिससे मन और मस्तिस्क को ख़ुशी औए शांति का अनुभव हो। अतः हमारे विद्यालय में समय-समय पर समारोह का आयोजन किया जाता है। जैसे 15 अगस्त, 26 जनवरी और वार्षिक उत्सव यह विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है। इस दिन बच्चे अपनी पढाई से दूर एक अलग आनंद और खुशियों का मजा लेते है। समारोह के कारण बच्चों में एकता, सहयोगात्मकता और भाई-चारे की भावना का विकाश होता है। 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन हमारे विद्यालय में प्रधानाचार्य तिरंगा झंडा फहराते हैं, फिर हमारे देश का राष्ट्रगान गाया जाता है और इसके पश्चात देशभक्ति गीतों  पर तरह-तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है। विद्यालय के वार्षिकोत्सव के दिन भी बहुत सारे सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। इसके साथ ही स्कूल में अलग-अलग गतिविधियों में प्रथम, द्वितीय और तृतीय  आए विद्यार्थियों को पुरस्कार दिए जाते है।

 

विद्यालय का परीक्षा-परिणाम

शिक्षकों के प्रयास और बच्चों के मेहनत के कारण बोर्ड की परीक्षा का परिणाम बहुत ही शानदार होता है। हर साल बड़ी संख्या में बच्चें प्रथम और द्वितीय श्रेणी से पास होता हैं। असफल बच्चों की संख्या बहुत ही कम होती है। अपने अच्छे परिणाम के कारण मेरा विद्यालय अपने क्षेत्र का नामी और प्रतिष्ठित संस्था है 


उपसंहार

राष्ट्रं का भविष्य बच्चों को कहा जाता है। अतः बच्चों के सर्वांगिक विकाश पर ही देश का भविष्य टिका हुआ है।  बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए विद्यालय एक उपयुक्त जगह है। जहाँ पर बच्चा पढ़-लिख कर सुसंस्कृत और सभ्य नागरिक बनता है तथा देश की प्रगति में अपना सहयोग देता है। अतः हमारा प्रयास रहना चाहिए की कोई भी बच्चा शिक्षा से दूर न हो ताकि देश की प्रगति होती रहे। 


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