Essay on 'Pollution' in 2000 words in Hindi for class 6 to 10 | 'प्रदुषण' पर निबंध 2000 शब्दों में | हिंदी में


'प्रदुषण' पर निबंध  ( Essay on Pollution in Hindi )

 प्रस्तावना :- आज के युग को देखते हुए हम कह सकते है की विज्ञान जितना हमारे लिए वरदान साबित हुआ है उतना ही अभिशाप भी। जितना हम आधुनिकता की ओर  बढ़ रहे है उतना ही हम मानवता की बर्बादी की ओर  भी बढ़ रहे है। मनुष्य की यह प्रकृति रही है की वह हमेशा प्राकृतिक से लेना चाहा है देना नहीं। और यही प्रवृति उसे विनाश की और ले जा रहा है। आज का यह बदलाव हमारे भविष्य में आने वाली युवा पीढ़ी को भुगतना होगा। 


आधुनिकता के भागम भाग में जो हमे प्रदुषण रूपी अभिशाप मिल रहा है उसकी तरफ हमारी नजर ही नहीं जा रही है, या यह कहे की हम उससे नजरें चुरा रहे है। हम खुद में इतना आधुनिकता लाने में खोते जा रहे है कि खुद की वास्तिविकता धूमिल होती जा रही है। अतः हमारा हमेशा यह प्रयास होना चाहिए की प्राकृतिक का संतुलन बना रहे।  

प्रदूषण के जिस वातावरण या पर्यावरण में मनुष्य साँस ले रहा है, वह दिन-ब-दिन खराब होता जा रहा है। स्थिति इतनी गंभीर बनी हुई है की जिधर नजर उठाये उधर ही प्रदुषण नजर आता है। कही वर्षा की कमी तो कही बाढ़ का प्रकोप है। कहीं अत्यधिक गर्मी सहन करनी पड़ रही है तो कहीं अत्यधिक ठंड।


प्राकृतिक ने हमेशा अपने सरल, मृदु, एवं सहयोगात्मक स्वभाव से मानवजाति का कल्याण किया है परन्तु हम मनुष्यों ने अपने क्रियाकलापों से उसे उग्र बना दिया है। जिसका परिणाम समस्त मानवजाति को भुगतना पड़  रहा है। 

प्रदुषण का अर्थ :- प्रदुषण का शाब्दिक अर्थ 'गन्दा' या 'अपवित्र'  होना है। सरल परिभाषा के अनुसार "प्रदूषण वायु, जल, और मिटटी के रासायनिक, भौतिक, और जैविक गुणों में होने वाला ऐसा परिवर्तन है जो समस्त जीवित जीवों के लिए हानिकारक है। जिसका प्रभाव समस्त जीवों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। 


प्रदुषण के प्रकार :- प्रदुषण अनके  प्रकार के है जिनमें मुख्यतः वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, भूमि (मृदा) प्रदुषण, एवं ध्वनि प्रदुषण है। इन प्रदुषण का श्रेय  हम मनुष्य के क्रियाकलापों को जाता है। 


air pollution essay in hindi


वायु प्रदुषण (Air Pollution essay in  Hindi )

वे अवयव या पदार्थ जो कण के रूप, द्रव रूप या गैस के रूप में वायुमंडल के पर्याप्त मात्रा में उपस्थित है तथा जिससे मानव, वनस्पति या जीवों को हानि पहुँचती है, वायु प्रदुषण कहलाती है। 

वायु प्रदुषण के कारण :- (1) आधौगिक कल-कारखानें - कल-कारखानों से बड़ी मात्रा में धुएं निकलते है। जो काफी जहरीले होते है। जिससे वहां के आस-पास का वायुमंडल दूषित हो जाता है।  उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों पर इसका बुरा एवं हानिकारक प्रभाव पड़ता है।  लोगों को साँस लेने की समस्या का सामना करना पड़ता है। किसी को दम्मा की बीमारी तो किसी को फेफड़े की बीमारी का सामना करना पड़ता है। इस समस्या का ज्यादा सामना युवाओं को करना पड़ता है क्योंकि घर परिवार चलाने के लिए उन्हें यहाँ कमाना  पड़ता है। और ज्यादा से ज्यादा वक़्त उन्हें वही बिताना पड़ता है। कल-कारखानें के पास के क्षत्रे  की बुरी स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रात को अगर सूखने के लिए कपडे डाले जाये तो सुबह उन कपडे पर काले काले कण जमे नजर आते हैं। सोचिये अगर कोई गर्मी से निजात पाने के लिए छत पे सोये तो सुबह उसके शरीर की क्या दशा होगी।

                                
(2) यातायात के साधन :- यातायात के साधन भी वायु प्रदुषण को बढ़ने में चार कदम आगे ही है। कल-कारखानें से तो कुछ किलोमीटर तक की वायु प्रदूषित होती है परन्तु यातायात के साधन ने तो गली-मोहल्ले, गांव-बस्ती, चौक-चौराहे तक को नहीं छोड़ा।  यातायात के साधन में इस्तेमाल होने वाले पेट्रोल और डीज़ल के जलने से जो धुआँ निकलता है वो और भी ज्यादा खतरनाक व जहरीले होते है। हम मानते है की यातायात के साधन ने इस नवीनतम युग में आवागमन की सुबिधा को बहुत ही सरल बना दिया है परन्तु इसके दुष्परिणाम को नजर अंदाज तो नहीं किया जा सकता है।      

(3) बढती जनसँख्या :- किसी भी देश की बढाती हुई जनसँख्या वहां के वातावरण पर प्रभाव उत्पन  करती है। जब जनसँख्या बढ़ेगी तो रोजगार की मांग बढ़ेगी और इसके लिए कल-कारखानें की स्थापन करने होंगे।  जिससे वायु प्रदुषण बढ़ेगा।  जनसँख्या बढ़ेगा तो यातायात के साधन बढ़ेंगे जिससे वायु प्रदुषण बढ़ेगा।  

(4) परमाणु परिक्षण :- हर देश खुद को सर्वशक्तिमान साबित करने की होड़ में लगा है और इसे साबित करने के लिए वह तरह तरह के जैविक अस्त्र-शास्त्र का परिक्षण वक़्त-बेवक़्त करता रहता है। इस परिक्षण में निकलने वाले गैस बाकि सभी प्रदुषण से ज्यादा बिनाशकारी होते है। जापान के हिरोशिमा और  नागासाकी शहर में 6 और 9 अगस्त 1945 को हुए परमाणु हमले का इतिहास आज भी गवाह है। जिसमे हिरोशिमा में 1,40,000 लोग और नागासाकी में करीब 74,000 लोग मारे गएँ। आज भी 75 साल पहले किये गए हमले का असर देखने को मिलता है। वहां आज भी बच्चे अपंग पैदा होते है। तो आप सोच सकते है कि आज हमलोग किस दिशा में बढ़ रहे है। 

 (5) वन की कटाई :- वन इस सृष्टि के जीवन का आधार है।  हम अपने थोड़े से फायदे के लिए इससे खिलवाड़ कर रहे है। वन वातावरण को शुद्ध करने, वर्षा कराने में मदद करते है।  वे वायुमंडल में उत्पन्न हानिकारक गैस जैसे कार्बन डाइऑक्साइड का इस्तेमाल कर हमे ऑक्सीजन प्रदान करते है।  वन के कटाई से वन्य जीवन भी प्रभाबित होता है। अतः वन कटाई से वायु प्रदुषण बढ़ता है। 


water pollution essay in hindi


जल प्रदुषण (Water Pollution essay in Hindi)

ईश्वर द्वारा प्रदान अनमोल उपहारों में जल एक महत्वपूर्ण उपहार है। जब इसी जल में अवांक्षनीय और अपशिष्ट पदार्थ मिल जाते है जिससे जल उपयोग लायक नहीं रहता तो उसे जल प्रदुषण कहते है। पृथ्वी पर जल सबसे अधिक मात्रा में है परन्तु मनुष्य के उपयोग हेतु मात्रा 1% ही है। अतः जल का उपयोग सावधानी पूर्वक करना चाहिए। जल प्रदुषण केवल मनुष्यों को नहीं बल्कि पादप और जीवों प्रभावित करते है।  

जल प्रदुषण के कारण :- 
👉 धार्मिक विशेषताओं के कारण लोग नदियों, तालाबों आदि के जल में पूजन सामग्री,मूर्ति विसर्जन  करते हैं जिससे नदियों का जल दूषित होता है। 
👉 औद्योगिक कारखानों के अपशिष्ट पदार्थों को जल में प्रवाहित किया जाता है जिससे जल में हानिकारक तत्व मिल जाते हैं। 
👉 शहरों में सीवरों के दूषित पानी को नदियों में छोड़ने के कारण नदियों का जल दूषित हो जाता है।
👉 नदियों के जल में मृत जीव जंतु सड़े गले पदार्थों को डालने से भी प्रदूषण फैलता है।
👉 कुछ स्थानों पर स्वच्छ भारत अभियान के शौचालयों के पानी को नदियो में छोड़ा जा रहा है।जिससे पानी की स्वच्छता में कमी होती जा रही है।
👉 समुद्र में पानी के जहाजों से तैलीय पदार्थों के रिसाव के कारण भी जल प्रदूषित होता है। जिससे समुद्री जीव जंतुओं पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
👉 लगातार हो रहे परमाणु परीक्षणों के कारण भी जल प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है।
👉 मनुष्यों और पशुओं के नदियो में नहाने से भी जल प्रदूषित होता है।
👉 मनुष्य की निजी अभिलासाओं के कारण भी जल प्रदूषण होता है जैसे स्वीमिंग पूल ,वाशिंग सेंटर आदि।
👉 वर्षा ऋतु के मौसम में वर्षा जल के साथ प्रदूषित जल, अपशिष्ट पदार्थ पशुओं और मनुष्यों के अपशिष्ट पदार्थों का एक साथ मिल कर बह जाना जल प्रदूषण को बढ़ावा देता है। 



land pollution essay in hindi


भूमि प्रदुषण (Essay on Soil pollution in Hindi )

भूमि-प्रदूषण को परिभाषित करते हुए हम कह सकते हैं कि - “भूमि के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा कोई अवांछित परिवर्तन जिसका प्रभाव मनुष्य एवं अन्य जीवों पर पड़े या भूमि की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो भूमि-प्रदूषण कहलाता है।

पृथ्वी पर मात्र एक-चौथाई ही  भूमि है जिसमे केवल मनुष्य के उपयोग लायक 280 लाख वर्ग मील ही उपलब्ध है।  अतः इस भूमि की समुचित रख रखाव की जिम्मेदारी  मनुष्यों  की है। परन्तु आज की बढ़ती जनसंख्या से भूमि उपयोग में विविधता एवं सघनता आई है।  परिणामस्वरूप ‘भूमि-प्रदूषण’ की समस्या का जन्म हुआ है जो आज विश्व के अनेक भागों में एक प्रमुख समस्या बन गई है। हम सभी जानते है की भूमि पर ही हम अपने जीविकापार्जन  के सारे काम करते है जैसे  फसल उगाना, कल-कारखाने की स्थापना इत्यादि।  इस प्रक्रम में हम अपनी भूमि को लगातार प्रदूषित करते रह रहे है। चलिए  जानते है की मानव कैसे भूमि प्रदूषित कर रहा है। 

भूमि प्रदुषण कारण :- (i) घर, अस्पताल, स्कूल और बाजार में उपयोग की जाने वाली सामग्री में प्लास्टिक कंटेनर, डिब्बे, प्लास्टिक, इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि पर उत्पन्न ठोस अपशिष्ट की श्रेणी में आते हैं। इनमें से कुछ बायोडिग्रेडेबल हैं और अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल हैं और निपटान के लिए कठिन हैं। यह गैर-बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट है जो बड़े भूमि प्रदूषण का कारण बनता है।

(ii) मानव की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिए जंगलों को तीव्र गति से काटा जा रहा है। मिट्टी के लिए पेड़ आवश्यक हैं क्योंकि वे विभिन्न आवश्यक पोषक तत्वों को बनाए रखने में मदद करते हैं। खनन, शहरीकरण और अन्य कारणों से पेड़ों को काटना भूमि प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले कारक हैं।

(iii) रासायनिक अपशिष्ट का निपटान मुश्किल है। कीटनाशकों, कीटनाशकों और उर्वरकों से प्राप्त तरल और ठोस अपशिष्ट दोनों को या तो लैंडफिल या अन्य स्थानों पर फेंक दिया जाता है। यह मिट्टी को खराब करता है और भूमि प्रदूषण का एक और प्रकार बनाता है।

(iv) फसलों की अधिक उपज सुनिश्चित करने के लिए किसानों द्वारा इन दिनों कई उच्च अंत कृषि तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। इन तकनीकों के अधिक उपयोग जैसे कि कीटनाशकों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग मिट्टी का क्षरण करता है। ऐसी जमीन में उगाए गए फल और सब्जियाँ भी स्वस्थ नहीं मानी जाती हैं। इसे एक प्रकार का भूमि प्रदूषण माना जाता है।

(v) घरों से फेंके जाने वाले टूटे काँच, प्लास्टिक, फर्नीचर और पॉलिथीन आदि स

(vi) उघोगो से निकलने वाले रसायनों से भी भूमि प्रदूषण होती है क्योंकि भारी धातु मिट्टी पर जमा हो जाती है और भूमि को दूषित करती है।

(vii) भूमि से खनिज तेलों को निकालने के लिए खुदाई के दौरान तेल कई बार जमीन पर गिर जाता है और मिट्टी को दूषित करता है।

(viii) बारिश के दौरान हवा में मौजुद दुषित पदार्थ जमीन पर आ जाते है और भूमि को दुषित करते है।


sound pollution essay in hindi


ध्वनि प्रदुषण (Essay  on  Sound Pollution in Hindi)

 ध्वनि प्रदुषण भी अन्य प्रदुषण की तरह हानिकारक है। ध्वनि प्रदुषण मानसिक पीड़ा के साथ साथ शारीरिक पीड़ा का भी कारण है। आज जिस तरह से सड़कों पे यातायात के साधन बढे है, बड़े-बड़े कल-कारखाने स्थापित हुए है, उससे ध्वनि प्रदुषण भी चरम स्थिति पर पहुंच चुकी है। सड़कों पर निकालो तो गाड़ी के सीटी की आवाज कान के पर्दे हिला देती है। पार्टी में जाओ तो म्यूजिक सिस्टम दिल धड़का देता है। अगर यही स्थिति बनी रही तो एक समय आएगा की लोगों की सुनने की क्षमता घट जाएगी। यदि इसे रोकने के लिये नियमित और कठोर कदम नहीं उठाये गये तो ये भविष्य की पीढियों के लिये बहुत गंभीर समस्या बन जायेगा।

उच्च स्तर का ध्वनि प्रदूषण बहुत से मनुष्यों के व्यवहार में चिडचिड़पन लाता है विशेषरुप से रोगियों, वृद्धों और गर्भवति महिलाओं के व्यवहार में। अवांछित तेज आवाज बहरेपन और कान की अन्य जटिल समस्याओं जैसे, कान के पर्दों का खराब होना, कान में दर्द, आदि का कारण बनती है। कभी-कभी तेज आवाज में संगीत सुनने वालों को अच्छा लगता है, बल्कि अन्य लोगों को परेशान करता है।


ध्वनि प्रदुषण के कारण :- (1) औद्योगिकीकरण ने हमारे स्वास्थ्य और जीवन को खतरे पर रख दिया है क्योंकि सभी (बड़े या छोटे) उद्योग मशीनों का प्रयोग करते हैं जो बहुत ज्यादा मात्रा में तेज आवाज पैदा करती है। कारखानों और उद्योगों में प्रयोग होने वाले अन्य उपकरण (कम्प्रेशर, जेनरेटर, गर्मी निकालने वाले पंखे, मिल) भी बहुत शोर उत्पन्न करते हैं। 

(2) सामान्य सामाजिक उत्सव जैसे शादी, पार्टी, पब, क्लब, डिस्क, या पूजा स्थल के स्थान मन्दिर, मस्जिद, आदि आवासीय इलाकों में शोर उत्पन्न करते हैं। 

 (3) शहरों में बढ़ते हुए यातायात के साधन (बाइक, हवाई जहाज, अंडर ग्राउंड ट्रेन आदि) तेज शोर का निर्माण करते हैं। 

 (4) सामान्य निर्माणी गतिविधियाँ (जिसमें खानों, पुलों, भवनों, बांधो, स्टेशनों, आदि का निर्माण शामिल है), जिसमें बड़े यंत्र शामिल होते हैं उच्च स्तर का शोर उत्पन्न करते हैं। 

(5) दैनिक जीवन में घरेलू उपकरणों का उपयोग ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है।

एक टिप्पणी भेजें