Essay on Hostel Life of a Student in Hindi | Life In A Hostel Essay for student

 छात्रावास का जीवन (Hostel-Life) 

परिचय (Introduction ):-

स्कूल और कॉलेज को विद्या का मंदीर कहा जाता है। यहाँ बहुत से विद्यार्थी ज्ञान अर्जन करने आते है।  बहुत ऐसे विद्यार्थी होते है जो बहुत दूर से आते है और जिन्हे पुनः घर लौटना मुश्किल होता है।  अतः वैसे विद्यार्थी को छात्रावास की जरुरत होती है। बहुत ऐसे भी विद्यार्थी होते है जिनका घर नजदीक होता है परन्तु वे भी छात्रावास में रहते है। इसका कारण यह है कि  छात्रावास में उन्हें अध्ययन  के लिए सुविधाएँ मिलती है। 

वर्णन (Description):-

छात्रावास का जीवन बड़ा ही आनंदायक होता है। शुरू - शुरू में तो छोटे लड़कों और लड़कियों को छात्रावास अच्छा नहीं लगता क्योंकि उन्हें अपने माता-पिता को छोड़ कर रहना पड़ता है।  परन्तु कहते है न की वक़्त हर घाव भर देता है, उसी तरह जब वे अन्य बच्चों के साथ समय बिताने लगते है तो उसका मन रमने लगता है।  जब वे घर में रहते है तो माता-पिता और बड़े लोगों की कड़ी निगरानी में रहते है। वे न स्वंत्रता पूर्वक बातचीत कर सकते है न घूम सकते है। छात्रावास में तो पहले-पहल वे मर्यादित स्वंत्रता के वातावरण में साँस लेते है।  अपने उम्र के लड़के और लड़कियों के साथ वे स्वंत्रता पूर्वक मिलते है।  अपने भावनाओं को बाटने का पूरा अवसर मिलता है। बाहरी वातावरण से दूर रह कर खुद को विकशित करने का पूरा अवसर मिलता है।  
छात्रावास एक ऐसी जगह है जहाँ बच्चों के सर्वांगिक विकाश पर पूरा ध्यान दिया जाता है। यहाँ बच्चों को मानसिक और शारीरिक विकाश के लिए पूर्ण अवसर मिलता है। यहाँ खेल-कूद, और व्यायाम का प्रबंध रहता है। आजकल ऐसे बड़े बड़े छात्रावास है जहाँ बच्चों के रूचि के अनुरूप शिक्षा दी जाती है। परन्तु  उन्हें कड़े अनुशासन में रहना पड़ता है। उन्हें उन नियमों का पालन करना पड़ता है। प्रत्येक छात्रावास में एक अधीक्षक रहते है।  वे उनके स्वस्थ और चरित्र का ध्यान रखते है। बच्चों और अधीक्षक के बीच अच्छा सम्बन्ध  रहता है।  अधीक्षक उन्हें अपने बच्चों के सामान व्यवहार करते है। छात्रावास में छात्रों के स्वस्थ की जांच के लिए जांच कक्ष, नाटक और ड्रामा के लिए रंगमंच, पुस्तक के लिए पुस्तकालय रहते हैं। बच्चे अपने रुची अनुरूप किताबे लेकर पढ़ सकते है।समय समय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता भी आयोजित करवाई जाती है। इस तरह बच्चों के शरीर के साथ-साथ मस्तिष्क का भी विकास होता है। छात्रावास के प्रधान समय समय पर बच्चों को पिकनिक , चिड़ियाघर , तथा दर्शनीय स्थानों पर भी सैर कराने ले जाते है जिससे उन्हें बाहरी वातावरण का ज्ञान हो तथा मन में नहीं ऊर्जा का संचार हो। जब मन में ताजगी और नई ऊर्जा होती है तो पढाई में भी मन लगता है।
 

लाभ (Advantages):-

छात्रावास के जीवन की अनेक खूबियां है। यहाँ बच्चों को अध्यन के लिए अनके सुविधा मिलती है। वहां के अनुशासन का पालन करने के कारण वे अनुशासित छात्र बनते है।  अनुशासन के महत्व को समझने लगते है।  उनको प्रत्येक कार्य समय पर करना पड़ता है।  इस प्रकार वे नियमित आदत डालते है।  इससे उनमे समय के महत्व का भी ज्ञान होता है। चुकी वे अपने परिवार से दूर रहते है अतः वही के बच्चे को ही अपने परिवार के सदस्य की तरह समझते है।  एक दूसरे के सुख दुःख में सहयोग करते है।  जिससे उनमे सहयोग की भावना का समावेश होता है। छात्रावास में वास्तविक जीवन के लिए उपयोगी प्रशिक्षण भी दिया जाता है। 

हानि (Disadvantages):-

दुनिया में कोई भी चीज पूर्णतः अच्छी नहीं है।  सब में कुछ अच्छाइयाँ है तो कुछ कमियां भी है। बच्चे की उज्जवल भविष्य हेतु उन्हें माता-पिता छात्रावास में डालते है जिस कारन बच्चे माता-पिता एवं परिवार के अन्य सदस्यों के प्रेम और संरक्षण से वंचित रह जाते है। ये कमियां उनके मन में खलती रहती है। क्योंकि जो प्रेम माता-पिता दे सकते है वो दुनिया में कोई नहीं दे सकता है। 
छात्रावास में भोजन की गुणवता भी अच्ची नहीं होती। यहाँ  भोजन रसोइये द्वारा तैयार  कराइ जाती है और इसकी व्यवस्था की जिम्मेवारी भी उन्ही पर होती है अतः लालचवश वे सस्ता और ख़राब सामान खरीदते है। खाना भी स्वादिष्ट नहीं बनाते ताकि बच्चे कम खाये और सामान की खपत कम हो।  कही कही तो बच्चों को डराया जाता ताकि वे अपने परिवार से छात्रावास की वास्तविक  बता न सके। 

उपसंहार (Conclusion):-

फिर भी , इन सभी त्रुटियों के बावजूद  छात्रावास का जीवन विद्यार्थियों के लिए यथार्थतः आनंदायक और आदर्श है।  

नोट :- बच्चों को छात्रावास में डालने से पूर्ब उस संस्था की पूरी जानकारी प्राप्त कर ले।  क्योंकि बच्चा आपका है।  उसका भविष्य आपके वर्तमान  के सही निर्णय पर निर्भर करता है। ऐसा न हो की आपके एक गलत निर्णय से उसका भविष्य बने न बने आपका भविष्य जरूर बन जायेगा। आप किसी को पैसे देने से पहले दस बार सोचते है की वो लौटाएगा की नहीं लौटाएगा ।  उसी तरह अपने बच्चे को कही देने से पूर्ब हजार बार सोचे। क्योंकि पैसा तो फिर भी कमाया जा सकता है परन्तु बच्चा नहीं!

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