जनसंख्या विस्फोट, कारण, एवं उपाय पर निबंध क्लास 6 से 12, हिंदी में


जनसंख्या विस्फोट, कारण, एवं उपाय

जनसंख्या विस्फोट, कारण, एवं उपाय

 भूमिका : 


जनसंख्या विस्फोट आज के समय की सबसे ज्वलंत समस्या है। इस समस्या का यदि शीर्ष समाधान नहीं किया गया तो समूची मानव सभ्यता ही खतरे में पड़ सकती है।


भारत की स्थिति :



भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या के आँकड़े चौंका देने वाले हैं। यहाँ की आबादी सवा अरब का आँकड़ा पार कर चुकी है। हर मिनट में कई नए बच्चे जन्म ले लेते हैं। इस प्रकार प्रतिवर्ष कई लाख की वृद्धि होती चली जाती है। दूसरे शब्दों में, भारत में हर वर्ष एक नया ऑस्ट्रेलिया समा जाता है।

जनसंख्या समस्या क्यों? 


बढ़ती हुई जनसंख्या भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा इसलिए है, क्योंकि भारत के पास बढ़ती हुई आबादी को खिलाने-पिलाने, काम देने और बसाने की सुविधाएँ नहीं हैं। आबादी और साधनों का संतुलन बुरी तरह टूट चुका है। भारत की आबादी विश्व की कुल आबादी का 14% है, जबकि भूमि सीमित है। इस भूमि को बढ़ाने का कोई तरीका हमारे पास नहीं है।


दूसरी समस्या यह है कि देश में खाद्यान्न 4 + 4 = 8 की दर से बढ़ते हैं तो जनसंख्या 4×4 = 16 की दर से बढ़ती है। इस भाँति भूमि पर नित्य अभाव, गरीबी और भूख का दबाव बढ़ता चला जाता है। आजीविका के साधनों का भी यही हाल है। आजादी के बाद देश में कुछ लाख ही बेरोजगार थे, जिनकी संख्या बढ़कर आज कई करोड़ तक पहुँच चुकी है। ऐसा नहीं है कि तब से आज तक रोजगार के अवसर ढूँढे नहीं गए। समस्या यह है कि जितने भी साधन विकसित होते हैं, वे जनसंख्या रूपी अजगर के पेट में जाकर न जाने कहाँ खो जाते हैं। परिणामस्वरूप बेरोजगारी बढ़ती चली जाती है।


जनसंख्या-विस्फोट से सारा देश भयाक्रांत है। जहाँ भी जाओ, लोगों की अनंत भीड़ दिखाई देती है। कोलकाता जैसे महानगर में लोग मधुमक्खी के छत्तों की भाँति-मँडराते नजर आते हैं। इससे प्रत्येक प्राणी पर मानसिक तनाव बढ़ता है। लोगों के लिए पैदल चलना तक कठिन हो जाता है। इसके अतिरिक्त बेकार लोगों की भीड़, चोरी, उपद्रव, अपराध, आंदोलन आदि में रुचि लेती है। परिणामस्वरूप समूचा देश जाम हो जाता है। अधिक जनसंख्या से देश का जीवन स्तर कदापि नहीं उठ सकता। जीवन स्तर का सीधा संबंध समृद्धि से है। जनसंख्या वृद्धि से परिवार की संपन्नता में वृद्धि की जगह बिखराव आता है। इसलिए खाते-पीते परिवार भी गरीब होते चले जाते हैं। बँटवारे से जो पारस्परिक लड़ाई-झगड़े जन्मते हैं, उनकी कहानी ही अगल है। भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास की समस्या दिनोंदिन बढ़ती चली जा रही है। आर्थिक ढाँचा बुरी तरह चरमरा चुका है।


जनसंख्या वृद्धि के कारण:



जनसंख्या विस्फोट का सबसे बड़ा कारण यह है कि जन्म-दर और मृत्यु-दर का संतुलन बिगड़ गया है। भारत मृत्यु-दर निरंतर कम होती जा रही है, जबकि जन्म दर वहीं-की-वहीं है। मृत्यु-दर इसलिए कम हुई है, क्योंकि स्वास्थ्य सेवाओं में पर्याप्त सुधार हुआ है। हैजा, टी.बी., मलेरिया, चेचक आदि जानलेवा बीमारियों का शत-प्रतिशत उपचार ढूँढ लिया गया है। वैज्ञानिक उन्नति के कारण बाढ़, सूखा, अकाल, प्राकृतिक प्रकोपों पर भी पर्याप्त नियंत्रण कर लिया गया है। परंतु जन्म-दर को रोकने में उतनी अधिक सफलता नहीं मिली है।


वृद्धि रोकने के उपाय: 


जनसंख्या वृद्धि को रोकने का सबसे बड़ा उपाय यह है कि नर-नारी को सीमित परिवार की शिक्षा दी जाए। शहरों में यह कार्य लगभग पूरा हो चुका है । शहरी आबादी सीमित परिवार के प्रति सचेत है, परंतु ग्रामीण आबादी अभी भी इस विषय में लापरवाह है। सरकारी मशीनरी ईमानदारी से इस प्रयास में जुटी हुई है। परंतु जब तक सामाजिक संस्थाएँ सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में जाकर सीमित परिवार की चेतना नहीं जगाएँगी, तब तक जनसंख्या में बाढ़ आती रहेगी। शहरों में भी अभी लोग पुत्र मोह के कारण दो लड़कियों के पश्चात तीसरी-चौथी संतान पैदा कर देते हैं। अभी कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अंधविश्वास के कारण संतान को रोकने में बुराई मानते हैं। इसका उपचार लगातार शिक्षा देने से ही हो सकता है।


जहाँ तक संतान को रोकने के वैज्ञानिक साधनों का प्रश्न है, भारत में साधनों की कमी नहीं है। निरोध, गर्भ-निरोधक गोलियाँ, नसबंदी, कॉपर टी आदि सहज उपायों से आने वाली संतान को रोका जा सकता है। अब तो गर्भ-काल में ही यह जाँच की जा सकती है कि गर्भस्थ शिशु लड़की है या लड़का। इन साधनों का निस्संकोच प्रयोग करने से जनसंख्या पर निश्चित रूप से नियंत्रण किया जा सकता है।


शिक्षा तथा प्रोत्साहन-



जनसंख्या को सीमित करने के लिए औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ नियोजन की शिक्षा भी दी जानी चाहिए। माताओं पिताओं को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए, जिन्होंने परिवार को सीमित किया हो।

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